मित्रों,यह कविता उस पिता पर लिखी है जो अपने बेटे को कभी निराश नहीं देखना चाहता,और साहस से हर चीज को हासिल करने के लिए कहता है...ऐसे पिता को मेरा नमन!... पंक्तियाँ प्रस्तुत है-
बेटे!कभी निराश न होना।
चाहे जितना अंधकार हो;
पर प्रकाश की आस न खोना।।
बेटे!कभी निराश न होना।
जीवन तो संघर्ष क्षेत्र है,
जब तक जीना तब तक लड़ना।
वह जीना भी क्या जीना है,
जिसमें पड़ता पांव पकड़ना।।
तुम आने वाले जीवन में;
आंसू से मुंह कभी न धोना।
बेटे!कभी निराश न होना........२
आंधी आती है आने दो,
घूमड़ घटाएं गिर जाने दो।
तुम अपना साहस मत छोड़ो,
बाधाओं को धमकाने दो।।
कांटो पर चलकर ही मिलता;
है फूलों का नरम बिछोना।
बेटे!कभी निराश न होना........२
एक लक्ष्य निर्धारित करना,
फिर प्रयत्न के बाण चलाना।
तुम ऐसे मुस्काना तुमसे,
कांटे तक सीखें मुस्काना।।
तुम सदैव अपनी माला में;
भांति-भांति के फूल पिरोना।
बेटे!कभी निराश न होना........२
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.नं.-9628368094,7985502377