नवदुर्गा व्रत पूर्ण कर,माँ से मांगू माँग।
माँ गौरी कृपा करो,कर दो अमर सुहाग।।
भरी माँग से मांगती,दे दो माँ सिंदूर।
अमर माँग मेरी रहे,भले पति हो दूर।।
उमा-महेश-गणेश,व्रत करवाचौथ महान।
पत्नी का सौभाग्य है,पति भगवान समान।।
हँसकर के सब कुछ सहे,किन्तु न पति बिछड़े।
भूखी प्यासी रहे,सहे सब गम अरू दुखड़े।।
हो सारे गम दूर मिलें जब,सजन-सजनिया।
इंतजार के बाद,खिले जब गगन चँदनिया।।
पूजन करे गणेश का उमा-महेश मनाय।
दर्शन करके चंद्र का,दे जल अर्घ्य चढ़ाय।।
सुहागिनों की शान है,माँग भरा सिंदूर।
"दीपक"जब तक जल रहा,हो प्रकाश भरपूर।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.नं.-9628368094,7985502377