Sunday, 8 October 2017

करवाचौथ पर कविता

नवदुर्गा व्रत पूर्ण कर,माँ से मांगू माँग।
माँ गौरी कृपा करो,कर दो अमर सुहाग।।
भरी माँग से मांगती,दे दो माँ सिंदूर।
अमर माँग मेरी रहे,भले पति हो दूर।।
उमा-महेश-गणेश,व्रत करवाचौथ महान।
पत्नी का सौभाग्य है,पति भगवान समान।।
हँसकर के सब कुछ सहे,किन्तु न पति बिछड़े।
भूखी प्यासी रहे,सहे सब गम अरू दुखड़े।।
हो सारे गम दूर मिलें जब,सजन-सजनिया।
इंतजार के बाद,खिले जब गगन चँदनिया।।
पूजन करे गणेश का उमा-महेश मनाय।
दर्शन करके चंद्र का,दे जल अर्घ्य चढ़ाय।।
सुहागिनों की शान है,माँग भरा सिंदूर।
"दीपक"जब तक जल रहा,हो प्रकाश भरपूर।।

रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.नं.-9628368094,7985502377