दिखावे की दुनियाँ में सब कुछ लाल लाल है।
महगाईं के ज़माने में सारे गरीब भी बेहाल है।।
मुबारकबाद दे रहा हूँ मोहब्बती ईद का सभी को;
कि ईद में बकरे ही नहीं आदमी भी हलाल है।।
हर साल की तरह आज फिर से,ईद आयी है।
मुल्क में सिर्फ आपसी,मतभेद की लड़ायी है।।
गर न हो आपसी हसद,जाति-धर्मं का भेदभाव;
ऐसी तमन्ना-ए-दीद की मैंने,बस आस लगायी है।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
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