काश!बहन मेरी होती,मैं भी राखी बंधवाता।
अपनी प्यारी बहना को,मैं भी दुलराता।।
किस्मत वाले है वो भाई;
बहन का प्यार,जिन्हें मिलता है।
ख़ुशी हो या गम उनको
अहसास उन्हें होता है।।
रूठ अगर वो जाती मुझसे,उसको फिर मैं मनाता।
काश!बहन मेरी होती★★★★★★★★★।।
रिश्ते है कई दुनियाँ में,
पर ये रिश्ता कुछ खास है।
बहनों के लिए राखी,
धागा नहीं विश्वास है।
सूनी न कलाई मेरी रहती,मैं भी भाई कहलाता।
काश!बहन मेरी होती★★★★★★★★★।।
प्यारी बहना को अगर,
कोई रावण सताता है।
बहना का एक ही बस,
भाई सहारा होता है।।
मरते दम तक"दीपक"भी अपना फर्ज़ निभाता।
काश!बहन मेरी होती★★★★★★★★★।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.नं.-9628368094,7985502377
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