Wednesday, 29 November 2017

नगरीय निकाय चुनाव पर कविता

स्वारथ खातिर लोग कुछ,आ करते पहचान।
जिन लोगों ने आज तक,किया नहीं सम्मान।।

किया नहीं सम्मान,कहो किस दम पर लड़ते।
पकड़ लिया मैदान,किन्तु है पैर उखड़ते।।

जनता का दिल जीतो,पहले करिये परस्वारथ।
जीते तभी चुनाव,सफ़ल होगा निजस्वारथ।।

सुख-दुःख में जो काम आता,उसको ही हमें जिताना है।
मतलब परस्त बस मौके पर,बुनते हर ताना-बाना है।।

किन्तु जनता सब कुछ देखती,सुनती-समझती है;
जो तन के उजले-मन के काले,उनको बन्धु हराना है।।

रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.नं.-9628368094,7985502377

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