Monday, 12 February 2018

महाशिवरात्रि पर कविता

भूतभावन,विनाशक ललाटे चंद्र शोहे।
कर त्रिशूल,भुजंगधारी,त्रिनेत्र मन मोहे।।

डमरू बजाकर करे नृत्य भोला।
पावन जहाँ"दीपक"नगरी गोला।।

करुँ वंदन निशदिन मैं तुम्हारा।
सदा ही करो कल्याण हमारा।।

मंद-मंद समीर आज,सुंदरता चहुँओर भरे।
हे नीलकंठ!तूने,है सबके दुःख दूर करे।।
कर दे मुझ दीन पर भी,दया थोड़ी भगवन;
जपता मैं निशदिन,हर हर महादेव हरे।।

रचयिता/लेखक-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.नं.-9628368094,7985502377



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