Thursday, 26 April 2018

Dedicated to all Competitors-(जो हीरा बाजार जाता है)

रोज योजनाएं बनती रहती है।
रणनीतियां बिखरती रहती है।।
अरमान तो बहुत है इस दिल में,पर
इमारतें बनके ढहती रहती है।।
इन्हीं मुश्किलों से निकलकर,
जो एक कदम पार जाता है।
निश्चित ही अपने लक्ष्य को,
वह एक बार पाता है।।
मेहनत गर पड़े तो,कोई राज है समझो,
क्यूंकि तराशा है वही जाता,
जो हीरा बाजार जाता है।।
रचयिता/लेखक-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा”दीपक”
मो.नं.-9628368094,7985502377

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