हे सरस्वती!मेरी माता, हे सरस्वती!मेरी माता।
ज्ञानदायनी,वीणावादिनी कहकर मैं ध्याता।।
ज्ञान की देवी तुम हो,देती सबको ज्ञान।
जो भी तेरा ध्यान लगावे,बनता वही महान।।
तेरे ध्यान से माता,जगत बुद्धि पाता।
हे सरस्वती!मेरी माता★★★★★★★★★★।।
सेवा करूँ मैं दीन-दुखी की,दो मुझको वरदान।
मात-पिता सेवा करना, गुरुओं का सम्मान।।
परमपिता माँ आदिशक्ति के,चरणों में सुखपाता।
हे सरस्वती!मेरी माता★★★★★★★★★★।।
करूँ वंदन मैं तेरा, करो कृपा सदा मुझ पर।
चरणों में मैं ध्यान लगाऊँ, करो दया माँ मुझ पर।।
गाऊँ वंदना मैं तेरी,मुझको कुछ नहीं आता।
हे सरस्वती!मेरी माता★★★★★★★★★★।।
तेरी कृपा होती जिस पर,बने वही मतवाला।
सूर्य नहीं बन सकता मैं,"दीपक"बन दूँ उजाला।।
"दीपक"नाम अमर माँ कर दे,तुम्हीं हो भाग्य विधाता।
हे सरस्वती!मेरी माता★★★★★★★★★★★।।
मुक्तक- दे साथ मेरा माँ तू हंसवाहिनी।
कर दे कंठ सरस,वीणावादिनी।।
दे-दे ज्ञान अपार तू ,माँ मुझको;
जला ज्ञान का"दीपक"ज्ञानदायिनी।।
हे हंसवाहिनी माँ,तेरा साथ रहे हरदम।
रहे दया-दृष्टि तेरी,पनपे न कोई रे गम।।
है ज्ञान की देवी तू,कहे सब ज्ञानदायिनी;
दे ज्ञान का भंडार माँ,यूँ बढ़ते रहे कदम।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.न.-9560802595,9628368094
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