कूद गयी अखाड़े में,देखो फिर से कांग्रेस।
करे नहीं बात जो कभी भी,फेस टू फेस।।
हारना तो उनका अब पक्का ही है दोस्तों;
जिन पर हो लदे अनगिनत,ढेरों सारे केस।।
हुआ सफाया कॉंग्रेस का,देखो हर जगह से।
हारे गये आज ये,अपने कर्मों की वजह से।।
करम फूटे इनके यारो,तो फूटते ही चले गए।
हर जगह से इनके,क्यूँ हाथ फिसलते गए।।
सत्ता का लालच बहुत,बेकार होता है।
चूहा भी अपने वक्त पर,शेर होता है।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.न.-9560802595,9628368094
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