दोस्तों सबके जीवन में इक लम्हा,रंगीन होता है।
उस लम्हों की यादों का गट्ठर, बेहतरीन होता है।।
घटनाएँ तो कई होती है जीवन के सफर में लेकिन;
जिंदगी के सफर में वो मामला,संगीन होता है।।
पहली बार रब ने जब,मिलाया है तुझे।
रंग तेरे प्यार का तबसे,छाया है मुझे।।
प्रेम करता बहुत हूँ,मैं तुझसे प्रिये;
आज तलक इजहार,न कर पाया है तुझे।।
न जाने आज कैसे;इजहार हो गया।
तेरे प्यार में अब मैं;गवांर हो गया।।
ख्यालों में बैठा रहूँ,तेरी गली के मोड़ पे;
कि सनम मुझको तुमसे; प्यार हो गया।।
तमन्ना है मेरी इस जिंदगी में;बस उसे पाने की।
हर दिन हर वक्त;उसको ख़ुशी दिलाने की।।
न मिली अगर वो तो जिंदगी ही मिटा दूँगा अपनी;
फिर आस होगी फ़कत;उसे अगले जन्म पाने की।।
क़िस्मत थी मेरी दोस्तों,तो उनसे मुलाकात हो गयी।
चाहते थे हम जैसा जीवनसाथी,उनसे बात हो गयी।।
जबसे देखा उनको,खो गए हम जैसे अनजान राही;
दोस्तों बस वहीं से मेरे,प्यार की शुरुआत हो गयी।।
ए सनम मेरा तेरे लिए,एक पैगाम है।
तेरा प्रेम मेरे लिए,एक मीठा जाम है।।
जी नहीं सकता तेरे बगैर इक पल भी मैं;
प्रेम तो मेरी जिंदगी का,दूसरा नाम है।।
सदियों से प्यार की;ये दुश्मन है जहान।
प्यार की खातिर मैं;लुटा दूँ अपनी जान।।
सीने में मेरे तू ही;चीर के दिखलाऊँ मैं,
कि तू ही है मेरी गीता;तू ही है कुरान।।
प्रेम की बारिश के लिए,हम बादल हो गए।
उसी बारिश में भीगकर,हम पागल हो गए।।
देखा है जबसे मैंनें उसका अक्स दोस्तों,
उसकी तिरछी नज़रों से,हम घायल हो गए।।
उसकी मीठी बातों ने,प्रेम इतना बढ़ा दिया।
सोये हुए प्रेम के पुतले को,फिर जगा दिया।।
काम के हम भी बहुत थे,ग़ालिब लेकिन ;
कमबख्त इश्क़ ने मुझे निकम्मा बना दिया।।
भूल जाये हम सारा जहाँ लेकिन,
तुझको हम कभी न भुला पायेगें।
वो स्वर्णिम पल जो बीते तुम्हारे साथ,
सनम मरने के बाद भी याद आयेगें।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.-9560802595,9628368094