Monday, 10 April 2017

दोस्ती पर कविता

सच्ची दोस्ती जिसके पास,उसके पास दौलत की भरमार है।
हम दोस्तों की टोली में,न कोई जीत और न ही कोई हार है।।
बन जाये चाहे दुश्मन हम दोस्तों का,क्यों न सारा जमाना;
क्या फर्क पड़े जब दोस्तों के दिल में,बस प्यार ही प्यार है।।

मिले जो फिर से वो अतीतों के पल;
मानो मुझे सारा,जहाँ मिल गया।।
बिखरे-बिछड़े हुए उन सभी दोस्तों का;
फिर मुझको साथ,यहाँ मिल गया।।

जीवन  के  वो  हँसी  पल, मिल जाएँ।
काश!दोस्तों वो दिन,फिर खिल जाएँ।।
हो वो आमने-सामने फिर से,कोचिंग की बेंच पे;
काश!वो पुराने दोस्त फिर मिल जाएँ।।

रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.-9560802595,9628368094

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