कई सदियाँ है बीती ;कई साल बीते है।
हम तो रोज तुमको;याद करके जीते है।।
क्यूँ कहती नहीं हाँ तुम प्यार करती हो मुझसे;
कि चुप रहकर ही हम;सारे ग़मों को पीते हैं।।
दर्द को अब मैं रोक नहीं सकता।
सुनाये बिन मैं ठहर नहीं सकता।।
फिक्र तो आज भी है उनकी मगर;
बेबस किरदार मैं कह नहीं सकता।।
पीर दिल की बताऊँ,मैं कैसे तुम्हें।
याद आ जाते मुझे,वो सारे लम्हें।।
वक्त वो था जब हम प्यार करते थे,
आज वो दिन है अब,कैसे भूले तुम्हें।।
झूठा ही सही सनम बस एक बार,तुम प्यार मुझे दे दो।
जिंदगी वीरान है तेरे बिन,इक बार दीदार मुझे दे दो।।
वैसे भी ज्यादा नहीं जी पाऊँ,मैं तुम्हारे बिन प्रिये;
कह दो कि प्यार तुम्हे भी है,फिर मौत हज़ार मुझे दे दो।।
अब बिछड़ के उससे;ख़ुशी जाहिर न कर पाते।
याद में सिर्फ उसकी दुःखो के गीत है हम गाते।।
गर किसी से जुदा होना इतना ही आसान होता;
तो जिस्म से रूह लेने खुद यमराज न आते।।
खड़ा हूँ प्यार की चौखट पे,इंतजार है किसी का।
बैचैन दिल ये आज मेरा,मेहमान है किसी का।।
जाने को तो मैं चला जाऊँ,छोड़ कर दुनियाँ हमेशा;
मगर क्या करे किरदार,कर्जदार है किसी का।।
न पसंद हूँ तुझे,तो जा,जी ले किसी और के लिए।
आजमा लेना उसे और मुझे,फिर सोचना मेरे लिए।।
दिल दुखाये गर वो तेरा,तो आ जाना चौखट पे मेरी; ये"दीपक"जला है,जला ही रहेगा,सिर्फ तुम्हारे लिए।।
साथ जब तक रहा तेरा मेरे साथ,सोचता हूँ काश!जिंदगी ही बस इतनी होती।
क्या कहूँ ज्यादा तुझसे अब,काश!तुझे भी मोहब्बत मेरे जितनी होती।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.-9560802595,9628368094
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