Sunday, 9 April 2017

पिता की पुत्र से इच्छा

बेटा!कच्ची उम्र में कच्चे अकल है।
तुम्हारे पिता का इसमें दखल है।।
मंजिल है लंबी यदि लक्ष्य पाना,
मेहनत करो वरना मेरा कतल है।।

बनकर एकलव्य अर्जुन दिखाओ।
लक्ष्य मछली की आँख अपना बनाओ।।
हुनर को तुम्हारे करे सब सलाम,
बनकर के कुछ आप हमको दिखाओ।।

गर्व तुम पर करूँ महसूस ,न फूला समाउंगा।
समझ रहमो-करम प्रभु का,प्रभु के गीत गाऊंगा।।
 कली चुनकर बनाऊँ बनाऊँ संगीनी तेरी,
जैसे हीर हो कोई  दुल्हनिया ऐसी लाऊंगा।।

रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.-9560802595,9628368094

No comments:

Post a Comment