Sunday, 9 April 2017

अर्थी-सच्चे प्रेमी की

जिस दिन उठेगी तेरी डोली,किसी और के घर;
उस दिन इस मजनू की अर्थी उठेगी;

फूल तुझ पर भी लोग बरसाएंगे;
फूल मुझ पर भी लोग बरसाएंगे;
अंतर सिर्फ इतना होगा सनम,तू सजेगी,मैं सजाया जाऊँगा।

तू भी अपने घर को जायेगी;
मैं भी अपने घर को जाऊँगा;
अंतर सिर्फ इतना होगा सनम,तू राज़ी से जायेगी,मैं बेराज़ी
जाऊँगा।

लोग वहां भी होंगे;
लोग यहाँ भी होगें;
अंतर सिर्फ इतना होगा सनम,वहाँ हँसना होगा,यहाँ रोना होगा।

सात फेरे वहाँ भी होगें;
सात फेरे यहाँ भी होंगे;
अंतर सिर्फ इतना होगा सनम,तुझे अपनाया जायेगा,मुझे
जलाया जायेगा।

रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.-9560802595,9628368094

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