Sunday, 9 April 2017

डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम पर कविता

चला गया वो आधुनिक;भगवान हमारा।
धरती सूनी हुई है;जग सूना हुआ हमारा।।

चले गए भगवान वो;तो जहाँ सारा रोया है।
देखो यारो मेरे देश ने;कलाम को खोया है।।

देश का सच्चा सपूत;था यारों वही।
भेदभाव से परे;नेक बंदा था वही।।

देता हरदम था जो एकता का पैगाम।
हुई थी जिनसे दुश्मनों की नींद हराम।।

दिया है जिसने देश को परमाणु;वो कलाम है।
उस मिसाइल मैन को यारों;शत्-शत् सलाम है।।    

रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.-9560802595,9628368094

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