एक बार नहीं दोस्तों,हर बार लिखूँगा।।
वेलेंटाइन-डे नहीं,माँ-बाप का प्रेम लिखूँगा।।
माँ-पालती है तुझको,नौमास उदर में।
देकर खुशी तुझे वो,रहती है कष्ट में।।
माँ का दिल ममता का,मंदिर बताउँगा।
एक बार नहीं दोस्तों,★★★★★★★★।।
माँ गीले में सोकर,सूखे में सुलाती।
थपकी दे-दे देकर,खुद भी सो जाती।।
माँ-बाप से ही जीवन,हर बार मांगूगा।
एक बार नहीं दोस्तों,★★★★★★★★।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.-9560802595,9628368094
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