आपकी देहरी पर,दीप जलता रहे।
सारे जहां से अंधकार,यूँ ही मिटता रहे।।
दीपों का त्योंहार,है दीपावली।
लाती घर-घर में,जो खुशहाली।।
आये श्री राम जब,पूरा कर वनवास।
मनाकर दीपावली, मिटी अयोध्या की आस।।
सभी के घर है,आज सजे हुए।
आंगन भी,रंगोली से भरे हुए।।
पूजन करते है,लक्ष्मी-गणेश का लोग।
लड्डुओं का सभी जन,लगाते है भोग।।
जलाते है पटाखे फुलजड़ियाँ और बम।
खुशियाँ आपस में, नहीं होती है कम।।
पहनते नए कपड़े खिलाते है मिठाई।
"दीपक"दीपावली की हार्दिक है बधाई।।
रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा"दीपक"
मो.-9560802595,9628368094
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